गुरु गोविंद सिंह जयंती पर विशेष

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता


नानकशाही कैलेंडर के अनुसार हर साल पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोविंद सिंह  की जयंती मनाई जाती है। महान योद्धा, कवि और आध्यात्मिक गुरु गोबिंद सिंह  सिखों के 10वें गुरु माने गए हैं। गुरु गोबिंद सिंह  ने ही 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी। ये दिन सिख समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गुरु गोविंद सिंह  के जन्मोत्सव को सिख धर्म के लोग धूमधाम से मनाते हैं।

गुरु गोविंद सिंह की जयंती पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी यानी कि 29 दिसंबर 2022 को मनाई जाएगी। इस दिन गुरुद्वारों को भव्य रूप से सजाया जाता है। जगह-जगह फेरियां निकाली जाती है, भजन,कीर्तन, अरदास, लंगर का विशेष आयोजन होते हैं। इस दिन गुरु के बलिदान और उनके वीरता को याद कर  कई कार्यक्रम किए जाते हैं।

गुरु गोबिंद सिंह के जीवन की महत्वपूर्ण बातें..

अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 22 दिसंबर 1666 में गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। इन्होंने ही  मुगलों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने और धर्म की रक्षा के लिए खालसा पंथ की स्थापना थी। इन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को अपना उत्तराधिकारी और सिखों का निर्देशक घोषित किया था।

गुरु गोविंद सिंह ने पंच प्यारे और 5 ककार शुरु किए थे। खालसा पंथ में ही गुरु ने जीवन के पांच सिद्धांत बताए थे, इन्हीं को पांच ककार कहा जाता है – केश, कृपाण, कंघा, कड़ा और कच्छा। कहते हैं कि  हर खालसा सिख को इसका पालन करना जरूरी है।

गुरु गोविंद सिंह जी ने ही खालसा वाणी, ‘वाहे गुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह’ दिया था। गुरु की गरिमा बनाए रखने के लिए इन्होंने कई भाषाएं सीखी थी, जिनमें संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी शामिल है।

अपने पिता गुरु तेग बहादुर की शहादत के बाद मात्र 9 साल की उम्र में गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु की जिम्मेदारी ली। धनुष- बाण, तलवार, भाला आदि चलाने की कला भी सीखी और फिर अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में गुजार दिया।


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