छात्राओं में बढ़ती नशे की लत चिंता का विषय : संजय श्रीहर्ष

  • युवाओं को नशे से बचाने के लिए काउंसिलिंग जरूरी : डॉ. रेनू महिन्द्रा
  • तनाव के कारण छात्र-छात्राओं में बढ़ रही नशे की लत : प्रो. ज्योसना सिंह

लखनऊ। हमारी युवा पीढ़ी में विभिन्न प्रकार के नशों की लत बढ़ रही है, जिसका सबसे बड़ा कारण संयुक्त परिवार का टूटना है। नशे के सेवन में छात्र ही नहीं छात्राओं का आंकड़ा भी बहुत तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है। हमें अपने परिवार पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उक्त बातें इतिहास संकलन योजना के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष ने मंगलवार को विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार विभाग, यूनाइट फाउण्डेशन और अभ्युदय भारत ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में समाज एवं बच्चों को नशा मुक्त बनाने के लिए तेजस्वी भव अभियान के तहत परिचर्चा में कही। कार्यक्रम अध्यक्ष इतिहास संकलन योजना के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री संजय श्रीहर्ष ने कहा कि हमारा देश हमेशा से ही संस्कृति प्रधान देश रहा है। शिशुओं में बाल्यावस्था से ही संस्कार दिए जाते हैं।

जिस प्रकार समय तेजी से बदल रहा है, उससे युवा तमाम प्रकार के दुर्व्यसन में लिप्त होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक षड्यतेन्त्र के तहत देश में तेजी से नशा का कारोबार फैल रहा है। दुश्मन पड़ोसी देशों में नशे की फसल तैयार हो रही है और हमारे देश को कमजोर करने के लिए यहां के युवाओं को टारगेट किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति ऐसी नहीं थी, यहां शिशुओं के जन्म से लेकर उसके बड़े होने तक कई संस्कार दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि विद्या भारती अपने स्कूलों में बच्चों को शिक्षायुक्त संस्कार दे रही है। उनके अंदर कलात्मक शैली की वृद्धि कर रही है। स्कूलों में भैया बहनों के अंदर खेल के माध्यम से शरीरिक व मानसिक विकास किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश होम्योपैथी की एडिशनल डायरेक्टर (रिटायर्ड) डॉ. रेनू महेंद्रा ने कहा कि वर्तमान में लड़कियों में नशे की प्रवृत्ति काफी तेजी से बढ़ रही है। परिवार का एक साथ मिलकर न रहना, इसका मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि बहुत सी लड़कियां चोरी छिपे अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए नशे का सेवन करने लगती हैं। बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है और उनकी काउंसिलिंग भी जरूरी है। नशे के सेवन से कई प्रकार की बीमारियां हो रही है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी से नशे का इलाज सम्भव है, लेकिन मरीज को इसके लिए पूरी तरह से मानसिक रूप से तैयार रहना होगा।

लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रो. ज्योत्सना सिंह ने कहा कि आधुनितकता के दौर में छात्र-छात्राओं की तमाम शैक्षिक जरूरतों और बढ़ते दबाव के कारण उन पर तनाव बढ़ता है। अपने तनाव को दूर करने के लिए वह नशे का सहारा लेने लगते हैं और धीरे-धीरे वह आदी हो जाते है। छात्र-छात्राओं को इन बुराईयों से बचाने के लिए परिवार के साथ-साथ शिक्षकों को ध्यान देने की आवश्यकता है। शिक्षकों का दायित्व है कि वह छात्रों के साथ भेदभाव न करें, बल्कि मोटीवेट करें। स्कूल और कॉलेजों में छात्रों को शिक्षा के साथ साथ खेलकूद में प्रतिभाग कराना चाहिए ताकि उनका शरीरिक व मानसिक विकास हो सके। कार्यक्रम का संचालन विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने किया। इस अवसर पर विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख भास्कर दूबे सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी मौजूद रहे हैं।

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