यह संसार आठ अरब लोगों का घर है,
भारत का हिस्सा 1.41 अरब है उसमें से,
सब कुछ गड्डमगड्य हो गया सुरसा के
मुख जैसी बढ़ती भारत की जन संख्या से।
अगले दो चार सालों में हम सबसे
ज़्यादा जन संख्या वाले हो जाएँगे,
चीन को पीछे छोड़ जाएँगे, हम अब
नम्बर एक जनसंख्या वाले बन जाएँगे।
विश्व गुरु बनने से पहले आबादी
में हम दुनिया के गुरू बन जाएँगे,
खेती पाती, जगह ज़मीन जंगल,
सब धीरे धीरे समाप्त हो जाएँगे।
कंकरीट के बहुमंज़िला जंगल होंगे,
बिल्डर सभी भारत में मालामाल होंगे,
छोटे छोटे अपार्टमेंट में हम बहुसंख्यक,
बनकर ग़ुलामी की सीढ़ी चढ़ते होंगे।
किसी राजनीतिक दल की इच्छा शक्ति
अब नहीं जनसंख्या वृद्धि रोक पाने की,
अल्पसंख्यक भी अब पचास करोड़ होंगे,
वोटों की राजनीति से सारे घायल होंगे।
लोकतन्त्र का ऐसा बाना अब नहीं
मुआफ़िक है आज हमारे भारत के,
इस पर कुछ अधिक सोचना होगा,
नियंत्रण हो, ऐसा दिखलायें करके।
आदित्य पर्यावरण संरक्षण करके,
पेंड़ पौधे अधिक से अधिक लगाकर,
जनसंख्या पर पूर्ण नियंत्रण करके,
रखना पूरे भारत को ख़ुशहाल करके।