एक बार फिर एक बेटी बनी कातिलों का निशाना
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। सूबे की आधी आबादी सिसकने को मजबूर है। आए दिन वह राह चलते छेड़खानी और दुष्कर्म का शिकार हो रही हैं। कई बार घर में ही उनका उत्पीड़न हो रहा है और नाक के सवाल पर बेटियां मारी जा रही हैं। पुलिस कमिश्नर इस बात से फिक्रमंद हैं कि महिलाओं व लड़कियों पर होने वाले अपराध पर अंकुश लगे, लेकिन मातहत उनकी कसौटी पर खरा नहीं उतर रहे हैं। हालत दिन प्रतिदिन बद से बद्तर होती जा रही है। इसके पहले भी शासन ने जो व्यवस्था बनाई वह कारगर नहीं हो पाई। पुलिस महानिदेशक के सबसे ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि आधी आबादी की फरियाद कौन सुने।
बीते वर्षों और हाल में हुई घटना की तरह एक बार फिर तहजीब का शहर शर्मसार हुआ और मानवता कांप गई। यह सोचकर कि रूह कांप जाती है कि क्या बीती होगी उस नाबालिग लड़की पर। गुनाहगार हमारे बीच से ही हैं, जिनकी हैवानियत से बहू बेटियों की जान दांव पर है।
दुबग्गा क्षेत्र के मौरा खेड़ा गांव के बाहर स्थित जंगल में एक लड़की की बर्बरता से हुई हत्या के बाद वहां कुछ ऐसी ही चर्चा थी।
कोई इसे पुलिस की लापरवाही तो कोई संकुचित मानसिकता बता रहा था। नाबालिग लड़की घर से शौच के लिए निकली थी, लेकिन वह वापस नहीं लौटी। काफी देर तक घरवाले खोजबीन करते रहे, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चल सका। शुक्रवार सुबह करीब 17 वर्षीय लड़की का खून से लथपथ शव गांव के बाहर स्थित जंगल में पड़ा मिला तो मानो पूरे गांव में सनसनी फ़ैल गई।
बहू बेटियों के लिए असुरक्षा का माहौल तो कैसे थमे अपराध…
महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए वैसे तो कई बार कई तरह की योजनाएं बनाई गई, लेकिन कड़वा सच यही है कि पूरी कवायदें पुलिस की फाइलों में ही सिमट कर रह गई। नतीजतन राजधानी लखनऊ में महिला अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहा है। कभी किसी मासूम बच्ची की सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी जा रही है तो कहीं कोई लड़की छेड़छाड़ से तंग आकर मौत को गले लगाने को मजबूर हो रही हैं। दुबग्गा क्षेत्र में जिस तरह से बदमाशों ने एक युवती का बेरहमी से मौत की नींद सुलाया इससे साफ है कि बदमाशों के भीतर पुलिस का खौफ नहीं रहा।