बिजली कर्मचारी और इंजीनियर निजीकरण की नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी को देश भर में प्रदर्शन करेंगे

लखनऊ। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) ने 16 फरवरी, 2024 को सभी बिजली उपयोगिता मुख्यालयों और परियोजनाओं पर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और विरोध बैठकों के माध्यम से बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति (NCCOEE) को समर्थन देने का फैसला किया है। सरकार के जनविरोधी कदमों और निजीकरण नीतियों के खिलाफ दबाव डालने हेतु NCCOEE की बैठक 05 फरवरी को मोहन शर्मा की अध्यक्षता में हुई थी। AIPEF के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे, सेक्रेटरी जनरल रत्नाकर राव और AIPEF की ओर से संरक्षक अशोक राव बैठक में शामिल हुए।

दुबे ने कहा कि बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की लिखित प्रतिबद्धता के बाद भी बिजली (संशोधन) विधेयक 2022 को रद्द करने की हमारी मांगों का पालन नहीं किया गया है। इसके विपरीत, बिजली की सार्वभौमिक पहुंच के अधिकारों पर अंकुश लगाने के लिए उपभोक्ताओं के परिसर में प्रीपेड स्मार्ट मीटर गैरकानूनी तरीके से लगाए जा रहे हैं। बिजली क्षेत्र के निजीकरण की दिशा में अगले कदम के रूप में ट्रांसमिशन सबस्टेशनों की स्थापना के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली निर्धारित की गई है।

विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार विद्युत (संशोधन) नियमों के माध्यम से विद्युत (संशोधन) विधेयक 2022 के अपने निजीकरण के एजेंडे को जारी रखे हुए है। मंत्रालय पिछले एक साल से अधिक समय से विद्युत (संशोधन) नियम नामक अधिसूचनाएं जारी कर रहा है। यह कवायद विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग के नाम पर की जा रही है। NCCOEE बैठक में गंभीर चिंता के साथ कहा गया कि लोगों के विरोध और प्रतिरोध संघर्ष के सभी लोकतांत्रिक रूपों को पूरी तरह से नकारते हुए, भारत सरकार NMPL के नाम पर राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथों में बेचने के लिए आगे बढ़ रही है। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में गहरा संकट पैदा हो जाएगा और लोगों के लिए तत्काल और आने वाले दिनों में और अधिक कठिनाई होगी।

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