पुडुचेरी में निजीकरण: लखनऊ समेत यूपी के कई शहरों में हुआ विरोध प्रदर्शन

बिजली विभाग में निजी करण किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं इस तरह ताल ठोंका कर्मियों ने

लखनऊ। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में देशभर के 27 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ आज उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों ने राजधानी लखनऊ सहित सभी परियोजनाओं और जनपदों में विरोध सभा कर पुडुचेरी के बिजली कर्मियों के साथ अपनी एकजुटता का परिचय दिया। लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड होस्टल में हुई विरोध सभा में सैकड़ों बिजली कर्मियों ने हिसा लिया। सभा को सम्बोधित करते हुऐ संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों राजीव सिंह,जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, पीके दीक्षित, सुहेल आबिद, चन्द्र भूषण उपाध्याय, मो इलियास, महेन्द्र राय, पी एन तिवारी,मो वसीम,सुनील प्रकाश पाल, प्रेम नाथ राय, सनाउल्लाह, ए के श्रीवास्तव,शम्भू रत्न दीक्षित, भगवान मिश्र, पवन श्रीवास्तव, रफीक अहमद, केपी सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण हेतु बिडिंग प्रक्रिया प्रारंभ करने हेतु 27 सितंबर को आरएफपी जारी की गई जिसके विरोध में पुडुचेरी के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 28 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं ।

पुडुचेरी के बिजली कर्मियों की मांग है कि निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त की जाए और आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिये जायें। उन्होंने बताया कि पुडुचेरी का बिजली विभाग मुनाफे में चल रहा है और पुडुचेरी की बिजली हानियां मात्र 11.5% है जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड 15% से कम है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में निजीकरण हेतु स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था जिसे केंद्र सरकार ने अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट फाइनल किए बिना किस आधार पर पूरे बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 विगत मानसून सत्र में लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया है जिसे बिजली मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमिटी को संदर्भित कर दिया गया है।

ऐसी स्थिति में जब स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप नहीं दिया गया हो और इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 स्टैंडिंग कमिटी के सामने विचार हेतु भेज दिया गया है तब पुडुचेरी के बिजली विभाग का 100% निजीकरण किस आधार पर किया जा रहा है और इसका औचित्य क्या है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) रूल 2022 का ड्राफ्ट भी अगस्त के अंत में सर्कुलेट किया है।इसे भी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। इन परिस्थितियों में मुनाफा कमाने वाले पुडुचेरी के बिजली विभाग का निजीकरण किए जाने की जल्दबाजी समझ में नहीं आती। उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि इसके पीछे कुछ कारपोरेट घरानों का हाथ है।

उन्होंने बताया कि आज देश भर के बिजली कर्मियों ने पुडुचेरी के बिजली कर्मियों के समर्थन में सभी प्रान्तों में प्रदर्शन कर बिजली कर्मियों की एकजुटता का परिचय दिया है। उन्होंने मांग की कि उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द किया जाए और निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे पुडुचेरी के बिजली कर्मियों का दमन करने की कोई कोशिश की गई तो इसकी गंभीर प्रतिक्रिया होगी और देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसके विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन करने हेतु बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।

शैलेंद्र दुबे
संयोजक
9415006225

Raj Dharm UP

सनसनी: पूर्व सांसद धनंजय सिंह के गनर की गोली मारकर हत्या, इलाके में हड़कंप, पुलिस फोर्स मौके पर

ए अहमद सौदागर लखनऊ। यूपी में बेखौफ बदमाशों का कहर थम नहीं रहा है। माफिया मुख्तार अंसारी की मौत की गुत्थी सुलझ भी नहीं पाई थी कि असलहों से लैस बदमाशों ने जौनपुर जिले के पूर्व सांसद धनंजय सिंह के निजी गनर अनीस खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना सिकरारा क्षेत्र […]

Read More
Raj Dharm UP

सुविधा शुल्क के आगे आईजी जेल के आदेश का कोई मायने नहीं

कैदी स्थानांतरण में भी अफसरों ने की जमकर वसूली! बागपत जेल में कैदियों के स्थानांतरण से हुआ बड़ा खुलासा राकेश यादव लखनऊ । डीजी पुलिस/आईजी जेल का आदेश जेल अधिकारियों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। यही वजह है कि कमाई की खातिर जेल अफसर मुखिया के आदेश को दरकिनार कैदियों को स्थानांतरित करने […]

Read More
National Raj Dharm UP

यूपी के 16 हजार मदरसों से संकट टला

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा अधिनियम पर HC के फैसले पर लगाई रोक लखनऊ। देश की सर्वोच्च अदालत ने ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर शुक्रवार को अंतरिम रोक लगा दी जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004 को ‘असंवैधानिक’ और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला करार दिया गया था। […]

Read More