स्केच से एक या दो प्रतिशत ही मिल रही सफलता
अपराधियों के खौफ से चेहरा बयां नहीं कर पाते चश्मदीद
ए अहमद सौदागर
लखनऊ। हत्या, डकैती या फिर लूट स्केच के जरिए हत्यारों, डकैतों व लुटेरों को पकड़ना हिट और मिस का खेल है। प्रत्यक्षदर्शी ने सही तस्वीर बयां की तो स्केच हूबहू बन गया, नहीं तो अंदाजे के आधार पर उसे तैयार किया जाता है। स्केच बनाने में मददगार होते हैं तकनीकी शाखा के कम्प्यूटर में फीड नाक, कान, चेहरे व होंठ।
इन्हीं की मदद से विशेषज्ञ चश्मदीद के बयान के आधार पर हत्यारों, डकैतों व लुटेरों की शक्ल बनाने की कोशिश करते हैं। यूपी में चंद मामलों के अलावा स्केच से कभी तक पुलिस को ज्यादा मदद मिलती नज़र नहीं आती है।
एक विशेषज्ञ का कहना है कि स्केच एक या दो प्रतिशत ही सफलता मिलती है। अब एक बार फिर पुलिस स्केच की मदद लेकर उन बदमाशों तक पहुंचने का प्रयास कर रही, जिन्होंने राजधानी लखनऊ अलीगंज थानाक्षेत्र स्थित त्रिवेणी नगर में एक सरकारी प्रधानाध्यापिका से बाइक सवार बदमाशों चेन व कंगन लूट कर भाग निकले।