नशे की गिरफ्त में भारत, बांग्लादेश और नेपाल के लोग, जान कर हैरान रह जाएंगे आप

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग का बड़ा खुलासा

नशे के आदी एक बार में ही गटक जाते हैं पूरा का पूरा सिरप

उमेश तिवारी

भारत से तस्करी कर बॉर्डर पर ले जाई जा रही नारकोटिक्स दवाएं सभी जिलों में पड़ताल में जुटा एफएसडीए बताते चलें कि भारत, बांग्लादेश और नेपाल के लोग इन दिनों एक ऐसे नशे की गिरफ्त में हैं, जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं रही होगी। लंबे समय से यह लोग नशे के लिए यह नया तरीका अपना रहे थे, जिसकी किसी को कानों कान भनक तक नहीं थी। भारत से लेकर बांग्लादेश और नेपाल तक नशे का यह नया नेटवर्क तेजी से फलफूल रहा था, लेकिन अब इसका भंडाफोड़ हो गया है। आशंका है कि भारत से कुछ नारकोटिक्स दवाओं को नशे के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए पश्चिम बंगाल के रास्ते बंग्लादेश तक भेजा जा रहा था।

इधर महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर और बिहार के रास्ते नेपाल पहुंचाया जा रहा था। जानकारी होने पर भारतीय खाद्य एवं औषधि सुरक्षा प्रशासन (एफएसडीए) के भी होश उड़ गए हैं। एफएसडीए ने जांच के दौरान पाया कि पिछले कुछ समय से कफ सिरप की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। मेडिकल स्टोर पर पहुंचते ही कोडीन युक्त ये कफ सिरप गायब हो रहे हैं। डिमांड के मुताबिक सप्लाई होने के बावजूद बाजारों से धड़ाधड़ गायब हो रहे कफ सिरप की घटना से एफएसडीए सतर्क हो गया। जांच का दायरा आगे बढ़ा तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच टीम को प्राथमिक जांच में हाथ लगे सुबूतों के अनुसार कोडीन युक्त इन कफ सिरप का इस्तेमाल नशे के तौर पर किया जा रहा था। इसकी बड़े पैमाने पर भारत से लेकर नेपाल और बांग्लादेश तक तस्करी की जा रही थी।

सभी जिलों में शुरू हुई जांच

एफएसडीए ने पुलिस और सशस्त्र सुरक्षा बल की मदद से दवा के नाम पर की जा रही नशे के लिए इसकी तस्करी की पड़ताल तेज कर दी है। अब तस्करों तक पहुंचने और उनके नेटवर्क को तोड़ने के लिए टीम बनाई जा रही है। इसके साथ ही सभी जिलों में दवाओं की खरीद और बिक्री की पड़ताल कराई जा रही है। ताकि पता चल सके कि इस सिरप के अलाव अन्य किन दवाओं का इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है। अब एफएसडीए विभिन्न दवाओं की खरीद और बिक्री का थोक व फुटकर स्टॉक का भी निर्धारण करवा रहा है। ताकि तस्करी के इस अवैध नेटवर्क को तोड़ा जा सके।

बिना पर्चे के दवाओं की बिक्री पर रोक का निर्देश

एफएसडीए ने नारकोटिक्स दवाओं की अवैध तस्करी पर रोक लगाने के लिए पर्चे के बगैर बिक्री पर रोक लगा दी है। ताकि इसके अवैध व्यापार पर अंकुश लगाया जा सके। इस निर्देश का कड़ाई से पालन कराते हुए ड्रग निरीक्षकों से रोजाना मुख्यालय में रिपोर्ट देने को भी कहा गया है। आगरा तथा महराजगंज जिले के निचलौल और कोल्हुई में कुछ दिन पहले दवा के बड़े कारोबारी पकड़े गये थे , जिसका नेटवर्क नेपाल तक फैला हुआ था।

20 रुपये सिरप की कीमत हो जाती है 200 से अधिक

एफएसडीए की छापेमारी में महराजगंज, गोरखपुर, वाराणसी तथा आगरा में पकड़ी गई दवाओं की जांच में यह तथ्य सामने आए हैं कि भारत से बांग्लादेश और नेपाल पहुंचने के बाद सिरप की कीमतों में 10 गुना तक बढ़ोत्तरी हो जाती है। 20 रुपये वाला सिरप करीब 200 रुपये में बेचा जाता है। इसी अनुपात में अन्य कफ सिरप की भी कीमत तय की जाती है। कोडीन युक्त होने के कारण इसका इस्तेमाल शराब के विकल्प के तौर पर किया जाता है। बांग्लादेश में शराब की बिक्री कम होना भी इस सिरप के तस्करी की प्रमुख वजह है। कोडीन युक्त सिरप का अकेले यूपी में 50 करोड़ से अधिक का कारोबार है। देश भर में कई सौ करोड़ रुपये का इसका कारोबार होता है। वैसे तो इस सिरप का इस्तेमाल गंभीर खांसी वाले मरीजों में किया जाता है। उन्हें इसकी निर्धारित डोज दी जाती है। मगर नशा करने वाले लोग पूरा सिरप एक बार में ही गटक जाते हैं। इससे उन्हें भयंकर नशा हो जाता है। डाक्टरों के अनुसार निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में यह सिरप लेने पर लीवर, किडनी, हार्ट और याददाश्त पर गंभीर असर करता है।

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