संगठन को चाक चौबंद करने पर हो रहा मंथन,
रंजन कुमार सिंह
बिहार में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की जदयू और तेजस्वी यादव की राजद की महागठबंधन सरकार के शपथ ग्रहण के साथ ही सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। बिहारी राजनीति में नीतिश से मिली पटखनी के बाद भाजपा ने अब अगली तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए मंगलवार शाम को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर बीजेपी कोर कमेटी की एक खास मीटिंग बुलाई गई, मीटिंग तीन घंटे चली।
तय होगी बिहार के लिए अगली रणनीति
बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा के लिए राह थोड़ी मुश्किल भरी हो गई हैं। एकतरफ अब राज्य में उनके पास कोई भी मजबूत सहयोगी नहीं बचा है, तो दूसरी तरफ इस बार महागठबंधन में समाज के सभी वर्गों व धर्मों का प्रतिनिधित्व मजबूती से हो गया है। ऐसे में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पार्टी के लिए बड़ी चुनौती साबित होने जा रही है। इसी को ध्यान में रखकर मंगलवार को पार्टी की नेशनल कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ ही बिहार से जुड़े कई वरिष्ठ भाजपा नेता शामिल हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, पूर्व डिप्टी CM सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद, पूर्व डिप्टी CM तारकिशोर प्रसाद, प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल आदि हैं। बैठक में बिहार के लिए अगली रणनीति तय की जा रही है।
तय होंगे नए प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष के नाम भी
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में इस बात पर चर्चा की जा रही है कि पार्टी संगठन अब बिहार में किस तरह काम करेगा। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान बिहार में पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम भी तय हो सकता है। साथ ही विधानसभा व विधानपरिषद में पार्टी की तरफ से नेता विपक्ष की भूमिका निभाने वाले चेहरे भी चुने जाएंगे। बैठक में यह भी तय किया जा रहा है। कि वे कौन से मुद्दे हैं, जिन्हें उठाकर पार्टी अब राज्य में विपक्षी दल की भूमिका के तहत सरकार को घेरेगी। ये मुद्दे विधानसभा के अंदर और बाहर, दोनों जगह मजबूती से उठाए जाएंगे।
बिहार में जातिगत समीकरण फिलहाल नीतिश के पक्ष में
बिहार में नीतिश की अगुआई वाले नए महागठबंधन में राजद, जदयू, कांग्रेस, वामपंथी पार्टियां, जीतन राम मांझी की हम के झंडे तले महादलित शामिल हैं। सामाजिक समीकरण के लिहाज से यह कुनबा बेहद मजबूत और बड़ा हो गया है। नीतिश और लालू प्रसाद यादव के एक साथ आने से बिहार की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की दो सबसे मजबूत जातियों कुर्मी व यादव भी एक झंडे तले हो गई हैं। इस समीकरण को तोड़ना 2024 में भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।