पापंकुशा एकादशी आज, जानें कैसे करें यह व्रत और क्या होता है लाभ

ज्योतिषाचार्य. डॉ उमाशंकर मिश्र


लखनऊ।  धर्मराज युधिष्ठिर ने पूछा हे मधुसूदन कृपया यह बताइए कि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में किस नाम की एकादशी होती है?  श्रीकृष्ण बोले हे राजन आश्विन के शुक्ल पक्ष में पापाकुंशा एकादशी होती है। जो सब पापों का हरण करने वाली तथा उत्तम है। उस दिन संपूर्ण मनोरथ की प्राप्ति के लिए मनुष्य को स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाले पद्मनाभ संज्ञक मुझ वासुदेव का पूजन करना चाहिए। जितेंद्रिय मुनि चिरकाल तक कठोर तपस्या करके इस फल को प्राप्त करता है।

वह उस दिन भगवान गरुड़ध्वज को प्रणाम करने से ही मिल जाता है। पृथ्वी पर जितने तीर्थ और पवित्र देवालय हैं उन सब के सेवन का फल भगवान विष्णु के नाम कीर्तन मात्र से मनुष्य को प्राप्त हो जाता है। जो सारंग धनुष धारण करने वाले सर्व व्यापक भगवान जनार्दन की शरण में जाते हैं, उन्हें कभी यमलोक की यात्रा नहीं भोगनी पड़ती। यदि अन्य कार्य के प्रसंग से भी मनुष्य एकमात्र मात्र एकादशी का उपवास कर ले तो उसे कभी यम यातना नहीं प्राप्त होगी।

इस तरह करें शिव की पूजा तो भगवान दूर कर देंगे सारे कष्ट

जो पुरुष विष्णु भक्त हो कर शिव की निंदा करता है वह भगवान विष्णु के लोक में स्थान नहीं पाता, इसी प्रकार से यदि कोई शैव या पाशुपत होकर भगवान विष्णु की निंदा करता है,तो वह रौरव नरक में डालकर तब तक पकाया जाता है जब तक कि 14 इंद्रो की आयु पूरी नहीं हो जाती। यह एकादशी स्वर्ग और मोक्ष को प्रदान करने वाली, शरीर को निरोग बनाने वाली तथा सुंदर स्त्री, धन एवं मित्र देने वाली है। एकादशी को दिन में उपवास करके रात्रि में जागरण करना चाहिए। जो ऐसा करता है राजेंद्र वह पुरुष मातृ पक्ष की 10 तथा स्त्री पक्ष की भी 10 पीढ़ियों का उद्धार कर देता है।

एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य चतुर्भुज पीतांबर धारी होकर भगवान विष्णु के धाम को जाते हैं। आश्विन शुक्ल पक्ष में पापाकुंशा का व्रत करने मात्र से मानव सब पापों से मुक्त हो श्री हरि लोक में जाता है। जो पुरुष स्वर्ण, भूमि, जल, जूते और छाते का दान करता है। वह कभी यमराज को नहीं देखता है।  गरीब पुरुष को भी चाहिए कि वह यथा शक्ति स्नान, दान, आदि क्रिया करके अपने प्रत्येक दिन को सफल बनावे । जो होम, स्नान, जप, ध्यान और यज्ञ आदि पुण्य कर्म करने वाले हैं उन्हें भयंकर यम यातना नहीं देखनी पड़ती है। लोक में वह मानव दीर्घायु थनाढय,कुलीन और निरोग देखे जाते हैं। इस विषय में अधिक कहने से क्या लाभ, मनुष्य पाप से दुर्गति में पड़ते हैं और धर्म से स्वर्ग में जाते हैं।

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