कविता : अनजान पर विश्वास नहीं करूँगा

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

धोखेबाजों के अपराधों से यदि
बचना है तो हमें प्रतिज्ञा करना है,
कभी किसी को अपने एटीएम
का पिन कभी नहीं बतलाना है।

किसी लेनदेन का वार्तालाप किसी
सार्वजनिक स्थान पर नहीं करूंगा,
कभी किसी बैंक के अंदर अनजान
व्यक्ति का कोई सहारा नहीं लूंगा।

कभी किसी एटीएम पर किसी दूसरे
को अपना कार्ड चेक करने नहीं दूंगा,
कभी किसी हालत में भी मैं किसी भी
अनजान पर विश्वास नहीं करूँगा।

यात्रा में मैं कभी किसी अनजान का
दिया हुआ कुछ ग्रहण नहीं करूंगा,
चाहे वह स्वयं क्यों न खा रहा हो,
उस पर कभी विश्वास नहीं करूँगा।

घर के बाहर ताले लटके न दिखाई दें,
इसलिये दरवाज़े में इंटरलाक लगाऊँगा,
मैं अपने मकान व दुकान पर भी शीघ्र
सीसीटीवी कैमरा जरूर लगवा लूँगा।

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मेरे मोहल्ले में कोई संदिग्ध व्यक्ति,
कोई नया फेरीवाला या नया कबाड़ी,
कोई घुमंतू दिखलाई देगा तो मैं यह
सूचना तत्काल सौ नंबर पर दे दूंगा।

बस स्टाप या टैक्सी/टेंपो स्टैंड से ही
गाड़ी में बैठूंगा, अन्य किसी जगह पर
यदि कोई मुझे सवारी बनाने के लिए
कहेगा तो बीच रास्ते से नहीं बैठूंगा।

कभी अजनबी व्यक्ति, फेरी वाले,
गैस चूल्हा सफाई का बहाना करने
वाले, फल/सब्ज़ी वाले आदि को
अपने घर के अंदर नहीं घुसने दूंगा।

मैं भारत का जागरूक नागरिक हूँ,
मैं अपने कर्तव्य ज़रूर निभाऊँगा,
आदित्य साथ में अन्य सभी अपने
लोगों को यह प्रतिज्ञा दिलवाऊंगा।

 

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