कविता : वक्त का बदलता मिज़ाज है

कर्नल आदि शंकर मिश्र
कर्नल आदि शंकर मिश्र

इंसान को अक्ल और गलतियाँ
हमेशा डराने का काम करती हैं,
अक्सर अपनी अक्ल और दूसरों की
गलती हमेशा ज्यादा ही दिखती हैं।

स्वयं को संभालने के लिए मस्तिष्क
का उपयोग करें, दूसरे को संभालने
के लिए अपने ह्रदय का उपयोग करें,
इसी तरह मधुर सम्बन्ध निभाते रहें।

गलत लोग हमारी अच्छाई से भी
घृणा करते हैं व सही लोग हमारी
बुराई जानकर भी हमसे प्रेम करते हैं,
तभी रिश्ते सही से परिभाषित होते हैं।

मुझे तो बस शब्दों के मिलने से ही
ख़ुशी हो जाती है और शब्दों से ही
प्रेम भाव का एहसास भी हो जाता है
मित्रता में संदेश पाना ज़रूरी होता है।

क्षमा इंसान का अतुलित बल,
व सरलता सर्वोत्तम सुंदरता है,
नम्रता सर्वश्रेष्ठ गुण एवं मित्रता
अप्रतिम व सर्वोत्कृष्ट संबंध है।

बस वक्त वक्त की बात है,
वक्त का बदलता मिज़ाज है,
याद आ गई उस वक्त की बात,
यही तो एक सबसे बड़ी बात है।

आदित्य याद आ गई उस वक्त की बात,
तब मित्रवत् किसी ने कही थी वह बात,
तब मित्र के रूप में कही थी जब ज्ञान
हुआ तो ज्ञानी भाव से कही वो बात।

 

 

 

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