बेटे के आचरण से आहत होकर उठाना चाहते थे यह बड़ा कदम
अखिलेश के बाद सबसे ज़्यादा प्रिय थे छोटे भाई शिवपाल
नया लुक ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव और उनके छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव अपने पुराने संगठन लोकदल के बैनर तले एक ‘सेक्युलर मोर्चा’ बनाना चाहते थे। यह हलचल सपा के प्रान्तीय अधिवेशन से पहले पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के मुखालिफ शिवपाल धड़े की सक्रियता थी। लोगों ने यह चर्चा तब शुरू की थी जब मुलायम की अध्यक्षता वाले लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से अखिलेश के प्रमुख सलाहकार रामगोपाल यादव को हटा दिया गया था।
कभी पुत्र कभी भाई की ओर देखने वाले धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव की अगुवाई में ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’ के गठन की बात हो रही थी। लेकिन यह कभी वजूद में नहीं आ पाया। यानी बेटे के आगे भाई हमेशा ही बेबस खड़ा रहा। सिंह का यह दावा शिवपाल के उस बयान की रोशनी में अहमियत रखता था, जिसमें उन्होंने गत जून में ‘साम्प्रदायिक शक्तियों से लड़ने के लिये’ समाजवादी सेक्युलर मोर्चा गठित करने का इरादा जताया था।
शिवपाल के एक करीबी नेता ने बताया कि चूंकि सपा अध्यक्ष अखिलेश और शिवपाल खेमों के बीच सुलह-समझौते की गुंजाइश अब बाकी नहीं दिख रही है, लिहाजा शिवपाल को अपने भविष्य के बारे में फैसला करना ही होगा और सेक्युलर मोर्चा अब बनकर रहेगा। मुलायम और शिवपाल के लोकदल के बैनर तले काम करने के सुनील सिंह के दावे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‘‘नेताजी (मुलायम) समाजवादी शब्द को तो नहीं छोड़ना चाहेंगे।
चुनाव आयोग के रिकार्ड के मुताबिक लोकदल एक पंजीकृत और गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। इसकी स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री चरण सिंह ने वर्ष 1980 में की थी और मुलायम उसके संस्थापक सदस्य थे। प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त जब सपा में अन्तर्कलह चरम पर थी और मुलायम ने खुद को पार्टी के मामलों से लगभग अलग कर लिया था, उस वक्त भी उनके अलग पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने की अटकलें लगायी जा रही थी। उस समय भी लोकदल अध्यक्ष सुनील सिंह ने उनसे अपनी पार्टी के निशान पर चुनाव लड़ने की पेशकश की थी। सिंह के मुताबिक बड़ी संख्या में शिवपाल के समर्थकों ने लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा था और पार्टी ने अपनी चुनाव प्रचार सामग्री में मुलायम की तस्वीर का इस्तेमाल किया था।