National Youth Day : स्वामी विवेकानंद के विचार युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत, जयंती पर देशवासियों ने किया नमन

आज पूरा देश राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है। यह दिवस भारत के महान आध्यात्मिक गुरु और संत स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मनाया जाता है। यह दिन राष्ट्र के ऐसे युवाओं को समर्पित है, जो भारत को बेहतर भविष्य देने की क्षमता रखते हैं और इसके लिए कार्य करते हैं।स्वामी विवेकानंद के भाषण, उनकी शिक्षाएं और उद्धरण हमेशा युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहे हैं। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था और बाद में उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा। वे वेदांत के विख्यात और प्रभावी आध्यात्मिक गुरु भी थे। केवल 25 साल की उम्र में ही वे सांसारिक मोह माया का त्याग कर संयासी बन गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कर्नाटक के हुबली जिले में राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। यह भारत का 26वां राष्ट्रीय युवा महोत्सव होगा। बता दें कि देश में साल 1984 में इस दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित किया गया था। 1985 से प्रति वर्ष देश 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस मना रहा है। स्वामी विवेकानंद को धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान, साहित्य के ज्ञाता कहा जाता है। शिक्षा के साथ ही वे भारतीय शास्त्रीय संगीत का भी ज्ञान रखते थे। उनके विचार और कार्य आज के समय में भी युवाओं के लिए प्रेरणा है। विवेकानंद ने कई मौकों पर अपने अनमोल और प्रेरणादायक विचारों से युवाओं को प्रोत्साहित किया है। यही कारण है कि स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

बता दें कि 11 सितंबर 1893 में अमेरिका में धर्म संसद के आयोजन में स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में हिंदी में कहा ‘अमेरिका के भाइयों और बहनों’ उनके यह कहते ही आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो में पूरे दो मिनट तक तालियां बजती रही। इसे भारत के इतिहास में गर्व और सम्मान की घटना के तौर जाना जाता है। स्वामी विवेकानंद ने साल 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की और 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी। मृत्यु से दो वर्ष पहले 1900 में जब स्वामी विवेकानंद यूरोप से आखिरी बार भारत आए तो बेलूर की ओर चल पड़े। क्योंकि वे अपने शिष्यों के साथ समय बिताना चाहते थे। यह उनके जीवन का आखिरी भ्रमण था। 4 जुलाई 1902 को उन्होंने अंतिम सांस ली। आज भी देश में स्वामी विवेकानंद के विचार युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं।

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