वायुसेना दिवस: देश और एयरस्पेस को सुरक्षित रखने में सक्षम हमारी वायुसेना,

जयपुर से राजेंद्र गुप्ता 

भारतीय वायुसेना दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेनाओं में से एक है। हर साल आठ अक्टूबर के दिन भारत वायुसेना दिवस मनाता है। पहली बार यूनाइटेड किंग्डम की रोयल एयरफोर्स की सपोर्टिंग एयरफोर्स के रूप में 1932 में भारतीय एयरफोर्स कार्यरत हुई थी। वर्तमान की बात करें तो गाजियाबाद में स्थित हिंडन वायुसेना स्टेशन में इस दिन खास आयोजन किया जाता है। यह भारतीय वायुसेना का हेडक्वार्टर भी है। इस समारोह के आयोजन में आईवीएफ चीफ और भारतीय सशस्त्र सेना के सीनियर अधिकारी सम्मिलित होते हैं।

वायुसेना दिवस को आठ अक्टूबर के दिन मनाने का कारण 1932 में इसका आधिकारिक तौर पर सहायक बल के रूप में यूनाइटेड किंग्डम की रोयल एयरफोर्स के रूप में संगठित होना ही है। भारतीय वायु सेना का पहला ऑपरेशनल स्क्वाड्रन भी अगले वर्ष आठ अक्टूबर को ही अस्तित्व में आया था। इसी दिन से आज तक वायुसेना दिवस मनाया जा रहा है।

भारतीय वायुसेना के काम की बात करें तो इसका प्रमुख कार्य भारतीय एयरस्पेस की सुरक्षा करने के साथ-साथ अन्य ऑपरेशन की देखरेख भी है। जंग में भी भारतीय वायुसेना के लड़ाके विमान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वायुसेना को सशक्त करने और कार्यों की सराहना के रूप में इस दिन को बेहद विशेष माना जाता है। इसमें कोई दोराय नहीं कि देश को बाहरी खतरों से बचाना और एयरस्पेस से किसी तरह के भी हमले से देशवासियों की सुरक्षा का कार्य वायुसेना के कंधों पर ही है।

कार्गिल युद्ध में भी वायुसेना का विशेष योगदान देखा गया था जब पथरीले और संकरे पठारों तक वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने दुश्मन का खात्मा किया था। OPS 1971, OPS 1965 और OPS 1962 वायुसेना के कुछ सफल ऑपरेशन में शामिल हैं। वायुसेना की विजयगाथा लंबी है और उनके सम्मान में ही इस दिन को विजय दिवस की तरह मनाया जाता है।

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