नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने भारत के लिए पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में वहां की जेल में 14 साल कैद रहने का दावा करने वाले 75 वर्षीय एक व्यक्ति को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश केंद्र सरकार को सोमवार को दिया। मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने मुआवजे का आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया कि अदालत उनके दावों पर अपना विचार व्यक्त नहीं कर रही, बल्कि इस मामले के समग्र दृष्टिकोण को देखते हुए याचिकाकर्ता को मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने महमूद अंसारी द्वारा दायर याचिका का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि मुआवजे के निर्देश का मतलब उनके द्वारा किए गए दावों को स्वीकार करना होगा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता समर विजय सिंह ने दलील देते हुए कहा कि वह (अंसारी) जून 1974 में रेल मेल सेवा में कार्यरत थे। उन्हें राष्ट्र के प्रति अपनी सेवाएं प्रदान करने के लिए विशेष खुफिया ब्यूरो से एक प्रस्ताव मिला और उन्हें एक विशिष्ट कार्य करने के लिए दो बार पाकिस्तान भेजा गया था। (वार्ता)