ए अहमद सौदागर
लखनऊ। शायद ही कोई साल हो जब महिलाएं और लड़कियां किसी दुराचारी या फिर हत्यारों का शिकार न बनती हों। खास बात यह है कि ये वहशी व खूनी कोई अजनबी नहीं होते। इनमें कोई पड़ोस का भाई, चाचा, पिता जैसा ही होता है। कभी कभार तो अपने सगे भी बेरहम बन जाते हैं।
दुबग्गा क्षेत्र की रहने वाली निधि गुप्ता के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। पड़ोस में रहने वाले सूफियान और उसके परिवार पर यकीन कर उसके घर की दहलीज तक गई, लेकिन उसे नहीं पता था कि जिस परिवार पर भरोसा करती थी उसी का बिगड़ैल बेटा जान का दुश्मन बन जाएगा। भरोसे में आकर वह मकान की चौथी मंजिल पर पहुंची कि बेरहम सूफियान छत से धक्का देकर मौत की नींद सुला दिया।
,,, सुरक्षित नहीं बेटियां ,,,
,,,धरी रह गई महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा की कवायद,,,
राजधानी लखनऊ में महिलाएं और लड़कियां महफूज़ नहीं हैं। पुलिस ने बहू बेटियों की सुरक्षा की कवायद तो कई बार शुरू की, लेकिन चंद दिनों बाद योजनाएं फाइलों में दबकर रह गई। यही वजह है कि उनके साथ एक के बाद एक हो रही घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। दुबग्गा क्षेत्र की रहने वाली निधि गुप्ता की हत्या ने एक बार फिर महिलाओं एवं लड़कियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।