स्थानांतरित जेलकर्मी को तीन दिन में रिलीव करें जेल अधीक्षक

बड़ी संख्या में कार्यमुक्त नहीं किए गए जेल सुरक्षाकर्मी


राकेश यादव


लखनऊ। जेल मुख्यालय ने प्रदेश कारागार विभाग के स्थानांतरित सुरक्षाकर्मियों को तीन दिन के अंदर कार्यमुक्त किये जाने का निर्देश दिया है। कार्यमुक्त किए गए कर्मियों को की सूची दो दिन के अंदर मुख्यालय को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है। यह निर्देश वर्ष-2022-2023 स्थानांतरित कर्मियों के रिलीव नहीं किए जाने को लेकर दिए गए हैं। बीती चार सितंबर को कारागार विभाग के स्थानांतरित कर्मियों में 50 प्रतिशत कर्मचारी रिलीव नहीं किए जाने की खबर को जेल मुख्यालय के अफसरों ने संज्ञान में लिया है।

जेल मुख्यालय के वरिष्ठ अधीक्षक ने इस संदर्भ में  11 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया है। उप महानिरीक्षक/ प्रभारी उप महानिरीक्षक लखनऊ, कानपुर, अयोध्या, वाराणसी, बरेली, आगरा, मेरठ एवं प्रयाग को निर्देश दिया गया है कि वर्तमान स्थानांतरण सत्र में स्थानांतरित अधिकारियों एवं सुरक्षाकर्मियों जो अभी तक रिलीव नहीं किए गए है। ऐसे कार्मिको को तीन दिन के भीतर कार्यमुक्त करतेे हुए उनको कार्यभार ग्रहण कराना सुनिश्चित करें। इसके साथ ही निर्देश में कहा गया है कि कार्यमुक्त किए गए अधिकारियों एवं सुरक्षाकर्मियों के स्थानांतरित जेलों पर प्रभार संभालने के बाद दिए जा रहे योगदान की सूचना दो दिन के अंदर जेल मुृख्यालय को उपलब्ध करायी जाए।

उल्लेखनीय है कि वर्ष-2022-2023 के स्थानांतरण सत्र के दौरान कारागार विभाग में बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधीक्षक, अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर के साथ हेड वार्डर एवं वार्डर संवर्ग के तबादले किए गए। करीब डेढ़ हजार की संख्या में हेड वार्डर व वार्डर के हुए तबादलों में बड़ी संख्या में जेल अफसरों ने अभी तक कार्यमुक्त नहीं किया। राजधानी लखनऊ, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, गाजियाबाद समेत कई जेलों में दर्जनों की संख्या में हेड वार्डर एवं वार्डर स्थानांतरित होने के बाद भी कमाऊ जेलों पर जमे हुए है। वरिष्ठ अधीक्षक मुख्यालय के इस निर्देश का कितना अनुपालन हो पाएगा यह तो आने वाला समय बताएगा। फिलहाल स्थानांतरित कर्मियों को कार्यमुक्त किए जाने की पहल की सराहना की जा रही है।

अभी तक नहीं शुरू हुई रिलीव करने की प्रक्रिया

जेल मुख्यालय से हुए आदेश के बाद भी जेल अधिकारी स्थानांतरित कर्मियों का रिलीव करने की कवायद अभी तक शुरू नहीं की है। राजधानी लखनऊ, अलीगढ़, आगरा, नोएडा, गाजियाबाद समेत प्रदेश की कई अन्य जेलों में दर्जनों की संख्या में स्थानांतरित हेड वार्डर व वार्ड अभी तक जमे हुए है। इन्हें कार्यमुक्त करने के लिए अभी तक कोई कदम उठाया ही नहीं गया है।

 

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