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अफ्रीकी फोटो-पत्रकार जिसका कैमरा ही अपना बंदूक था!

के. विक्रम राव अफ्रीकी स्वतंत्रता सेनानी और अदम्य फोटो पत्रकार पीटर मगुबेन के गत दिनों निधन से वैश्विक संघर्ष का एक अनुच्छेद समाप्त हो गया। नेल्सन मंडेला का यह निजी फोटोग्राफर उस अंग्रेज कवि विलियम ब्लैक की पंक्तियां अनायास याद दिलाता है : “मैं काला हूं, पर मेरी आत्मा सफेद है।” एक अश्वेत बालक की […]

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Analysis

विश्वास-मत तो मिला था! पर किस कीमत पर?

के. विक्रम राव यह फसाना (दास्तां) है दो विश्वास मत वाले प्रस्तावों की। दोनों घटनाओं में पंद्रह साल का फासला है। महीना वही जुलाई (22 जुलाई 2008) का था। भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट एक साथ थे। निशाने पर थी सरदार मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार। उस पर एक नजर […]

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